शनिवार

अक्षय तृतीया पर श्री बांके बिहारी जी के चरण दर्शन साल में एक बार ही होते है

अक्षय तृतीया कब है 

22 अप्रैल 2023 को अक्षय तृतीया का पर्व है. ये दिन बहुत ही शुभ माना गया है.

 
 साल में एक बार ही ठाकुर श्री बांके बिहारी जी के चरण दर्शन अक्षय तृतीया के दिन होते हैं। इस दिन को बेहद ही शुभ माना जाता है। हर साल वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर अक्षय तृतीया का पर्व पड़ता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया को सभी पापों का नाश करने वाली और सभी सुखों को प्रदान करने वाली तिथि भी कहा जाता है।

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अक्षय तृतीया चरण दर्शन 


वृंदावन का सबसे बड़ा पर्व है अक्षय तृतीया 


साल में एक बार श्री बांके बिहारी जी के चरण दर्शन के लिए वृन्दावन में ऐसी भीड़ उमड़ती है कि व्यवस्थाएं संभाले नहीं संभालती।
काफी वर्ष पूर्व स्वामी श्री हरिदास ने बद्रीनाथ जाते हुए लोगों को रोक कर कहा कि मैं तुम्हें वृन्दावन में ही विशेष दर्शन कराता हूँ। उन्होंने बांके बिहारी जी का श्रंगार करके अलौकिक चरणों के दर्शन कराये तो सभी स्तब्ध रह गए।  उसी दिन से यह चरण दर्शन की परंपरा चली आ रही है।


अक्षय तृतीया का महत्व

अक्षय तृतीया के दिन किसी भी तरह के शुभ कार्य किए जा सकते हैं।
इस पावन दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया के पावन दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था।
अक्षय तृतीया के दिन पितृ संबंधित कार्य करना भी शुभ रहता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन दान- पुण्य करने का भी बहुत अधिक महत्व होता है।
अक्षय तृतीया के पावन दिन सोना खरीदने की परंपरा भी है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सोने की खरीददारी करने से घर में सुख- समृद्धि आती है।

कोरोना संक्रमण के चलते अक्षय तृतीया को भक्त श्री बांकेबिहारीजी के चरणों के दर्शन नहीं कर सकेंगे। कोरोना कर्फ्यू में मंदिर के दर्शन आम भक्तों के लिए फिलहाल बंद हैं। यह लगातार दूसरी बार ऐसा होने जा रहा है जब आम भक्त बिहारीजी के चरणों के दर्शन से वंचित रहेंगे। इस बार 14 मई को अक्षय तृतीया है। प्रदेश सरकार ने 17 मई तक कोरोना कर्फ्यू घोषित कर दिया है। कोरोना कर्फ्यू नियमों के तहत मंदिर प्रबंधन ने आम भक्तों के लिए दर्शन प्रतिबंधित कर दिए हैं। इस दौरान सिर्फ सेवा पूजा हो रही है। ऐसे में अक्षय तृतीया को चरणों के दर्शन की परंपरा सिर्फ सेवा पूजा तक सीमित रहेगी।

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