Sinus |
साइनस क्या होता है?
साइनस को साइनोसाइटिस नाम से जाना जाता है और आयुर्वेद में इसे प्रतिश्याय भी कहते है। आमतौर पर लोग साइनस को सांस की बीमारी या इंफेक्शन से होने वाली बीमारी मानते है, लेकिन ये नाक की बीमारी है। इसमें नाक की हड्डी बढ़कर तिरछी हो जाती है जिससे सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
साइनस माथे, नाक की हड्डियों, गाल और आंखों के पीछे होती हैं। स्वस्थ साइनस में कोई बैक्टीरिया नहीं होता है, लेकिन जब साइनस में सूजन आती है या बलगम जमता है, तो इसमें कीटाणु पनपने लगते हैं। और इसी वजह से साइनस में इंफेक्शन होने लगता है।
साइनस कितने प्रकार होते है?
साइनस 4 प्रकार के होते है, जो नीचे दिए गए है:
1. एक्यूट साइनस- यह एक सामान्य साइनस है। एक्यूट साइनस उस स्थिति में होता है, जब कोई व्यक्ति, वायरस या बैक्टीरिया के संपर्क में आ जाता है। यह सबसे कम अवधि वाला होता है जो चार या उससे कम हफ्तों तक रहता है।
2. क्रोनिक साइनस- क्रोनिक साइनस में नाक में सूजन आ जाती हैं। जिसकी वजह से व्यक्ति को दर्द भी होता है। ये साइनस 1 महीने से लेकर 3 महीने तक रह सकती है।
3. डेविएटेड साइनस- यह साइनस नाक के एक हिस्से पर होता है। इसके होने पर नाक बंद हो जाती है और सांस लेने में तकलीफ होती है।
4. हे साइनस- Hay sinus को एलर्जी साइनस भी कहा जा सकता है।
यह साइनस धूल मिट्टी, पालतू जानवरों इत्यादि से एलर्जी होने पर होता है।
साइनस होने के क्या लक्षण है?
साइनस में सिरदर्द होना तो आम बात होता है लेकिन इसके अलावा भी और भी लक्षण होते हैं। जैसे-
• सिरदर्द होना- साइनस का सबसे पहला लक्षण सिरदर्द है। साइनस में सूजन की वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है जिससे सिर की नसों पर दबाव पड़ता है। जिसकी वजह से सिर के दर्द होने लगता है।
• बुखार और बेचैनी होना- साइनस की वजह से बुखार भी आ सकता है और बेचैनी या घबराहट भी हो सकती है
• आवाज में बदलाव आना- साइनस की वजह से नाक से तरल पदार्थ निकलता रहता है जिसका असर आवाज पर भी पड़ता है। जिसकी वजह से आवाज थोड़ी बदल जाती है।
• आँखों के ऊपर दर्द- साइनस आंखों के ऊपर भी होता है, जहां सूजन की वजह से दर्द शुरू होता है।
• महक का ना आना- सूजन के कारण इंद्रियां ठीक से काम नहीं कर पाती हैं जिसकी वजह से चीजों को सूंघने की क्षमता कम हो जाती है।
• दांतों में दर्द होना– साइनस संक्रमण के कारण आपके दांतों में भी दर्द हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि साइनस कैविटीज़ में बनने वाला तरल पदार्थ मैक्सिलरी साइनस (ये खाखले छिद्र नाक के पास होते हैं) के पास ऊपरी दांतों पर दबाव डालता है। अगर आपको साइनस की वजह से दांतों में दर्द होता है।
• थकान होना- अगर जुकाम के साथ साथ सिरदर्द होना, नींद न आना, नाक का बार-बार बंद होना और थकान महसूस होती है, तो यह साइनस के लक्षण हैं।
• खांसी- साइनस से गले और फेफड़े पर असर पड़ता हैं, जिससे खासी भी आती है।
साइनस होने के क्या कारण हैं?
साइनस के कई कारण हो सकते हैं जो नीचे दिए गए हैं:
• जुकाम- साइनस का मुख्य कारण जुकाम है, जिसकी वजह से नाक बहती है या फिर बंद हो जाती है। सांस लेने में दिक्कत भी होती है। जिन लोगो ka जुकाम बना रहता है, उनमें साइनस होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है।
• प्रदूषण- साइनस प्रदूषण के कारण भी हो सकता है। इसलिए ज्यादा प्रदूषण वाले जगह में रहने वाले लोग में साइनस की समस्या बढ़ सकती है।
• एलर्जी- बहुत से लोगों को मौसम, धूल मिट्टी, खुशबू वगरह से एलर्जी होती है। जिससे साइनस बना रहता है।
• नाक की हड्डी बढ़ना- नाक की हड्डी बढ़ने से भी साइनस की समस्या होती है।
• अस्थमा- अस्थमा के मरीज ठीक प्रकार से सांस नहीं ले पाते हैं, जिसकी वजह से स्पेसर की जरूरत पड़ती है। और ऐसे मरीज को साइनस की समस्या होने के आसार बढ़ जाते हैं।
• भोजन- खाने में हेल्थी चीजे न खाने से साइनस की दिक्कत हो सकती है।
साइनस से बचने के कौन कौन से उपाय कर सकते हैं?
साइनस के समस्या से बचने के लिए आहार और जीवनशैली में कुछ फेर-बदल करने की ज़रूरत होती है। जैसे-
• हाथों को अच्छी तरह से धोएं
• धूल मिट्टी और फफूंद से दूर रहें
• साफ सफाई का ध्यान रखें
• जिन लोगो को सर्दी जुखाम है, उन लोगो से दूर रहें
• बार बार हाथ साबुन से धुले, खासकर खाना खाने से पहले
• अगर आपको किसी चीज से एलर्जी है तो बचने की कोशिश करें
• धूम्रपान और प्रदूषित हवा में जाने से बचे
साइनस का इलाज क्या है?
ज्यादातर लोग ऐसा सोचते है की अगर उन्हें साइनस हो जाए तो वो ठीक नहीं होंगे, तो उनका ऐसा सोचना पूरी तरह से गलत है क्योंकि किसी भी दूसरी बीमारी की तरह साइनस का भी इलाज संभव है।
1. आयुर्वेदिक इलाज- वर्तमान समय में किसी भी बीमारी के लिए आयुर्वेदिक को सबसे अच्छा माना गया है और साइनस में भी बहुत सारे लोग ऐसे ही ठीक हो रहे है।
2. एंटीबायोटिक दवाईयां- एंटीबायोटिक दवाईयो से भी साइनस को ठीक किया जा सकता है। ये दवाईयां शरीर में साइनस को बढ़ने से रोकती हैं।
3. नेज़ल स्प्रे का इस्तेमाल- नेज़ल स्प्रे के इस्तेमाल से थोड़ी राहत मिलती हैं। इसलिए इसका यूज जरूर करना चाहिए।
4. योगा- साइनस का इलाज योगा से संभव है इसके लिए कपालभाती, अनुलोम-विलोम, प्राणायाम इत्यादि कर सकते है।
5. सर्जरी- जब साइनस किसी और तरह से ठीक नहीं हो पाता तो डॉक्टर सर्जरी का सहारा लेते हैं।
साइनस के क्या जोखिम हो सकते हैं?
किसी भी बीमारी को नज़रअदाज़ नहीं करना चाहिए क्योंकि ये कई सारे जोखिमों का कारण बन सकता है।
• साइनस का मस्तिष्क में फैलना- अगर साइनस का इलाज न किया जाए तो यह शरीर के दुसरे अंगों और मस्तिष्क में भी फैल सकता है।
• आंखों में इन्फेक्शन होना- अगर साइनस का इलाज समय पर न किया जाए तो ये आंख में इन्फेक्शन कर सकता है।
• मस्तिष्क खराब होना- अगर समय पर साइनस का इलाज न किया जाए तो ब्रेन फेलियर हो सकता है।
• अस्थमा होना- अगर साइनस का इलाज लंबे समय तक न किया जाए है तो इससे अस्थमा हो सकता है।
• मौत होना- कुछ लोगों की इस नाक की बीमारी की वजह से मौत हो जाती है। इसलिए किसी भी तरह की लापरवाही नहीं करनी चाहिए।
साइनस की रोकथाम कैसे करें?
साइनस से पीड़ित व्यक्ति यह जानना चाहता है कि वह किस तरह से इस इन्फेक्शन होने से रोक सकता है। इसलिए अगर उसे ये जानकारी पहले से हो तो वो कई जोखिमों को कम कर सकता है और इसके साथ ही जल्दी ठीक हो सकता है।
• ध्रूमपान न करना- किसी भी व्यक्ति को ध्रूमपान नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे कई बीमारियां हो सकती हैं।
• छींकते या खांसते समय मुंह ढकना- छींकते या खांसते समय टिशू पेपर या रूमाल का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि दूसरे व्यक्ति तक वायरस या बैक्टीरिया न फैलें।
• नाक को साफ रखना- साइनस नाक की बीमारी है, इसलिए नाक का विशेष ध्यान रखना चाहिए और नाक को साफ रखना चाहिए।
• स्ट्रॉ का इस्तेमाल करना- कोल्ड ड्रिंक या जूस पीने के लिए स्ट्रॉ का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि उसका असर उसके नाक या मस्तिष्क पर न पड़े।
• डॉक्टर के संपर्क रखना- यदि व्यक्ति को नाक संबंधी कोई परेशानी हो तो उसको तुंरत डॉक्टर से मिलना चाहिए।
साइनस के घरेलू उपाय क्या है?
साइनस के निम्न उपाय है जो आप घर में कर सकती हैं:
1. एसेंशियल ऑयल
एसेंशियल ऑयल की खुशबू को सूंघने को एरोमाथेरेपी भी कहते हैं। यह थेरेपी साइनस की सूजन और बैक्टीरिया को पनपने से रोकता है।
उपयोग करने का तरीका:
• तेल को डिफ्यूजर में डाल कर इसकी खुशबू को सूंघ सकते हैं।
• नाक और सिर में तेल लगा कर हल्की मसाज भी कर सकते हैं।
2. सेब का सिरका
एप्पल साइडर विनेगर का इस्तेमाल करके भाप लेने को भी साइनस के लिए फायदेमंद होता सकता है और इन्फेक्शन को कम करता है।
उपयोग करने का तरीका:
• एक चौड़े बर्तन में सिरका डालें।
• उसमें करीब एक लीटर पानी डालें।
• फिर इस को गैस पर रखकर गर्म करें।
• जैसे ही पानी से भाप निकलने लगे, वैसे ही इसको उतार ले।
• फिर, भाप लें।
• करीब पांच से 10 मिनट तक भाप लेते रहें।
• दिन में दो से तीन बार ऐसा करें।
3. लेमन बाम
लेमन बाम सिर दर्द को ठीक करने में मदद करता है। इसलिए ये बहुत ही फायदेमंद है।
उपयोग करने का तरीका:
• लेमन बाम से सिर, नाक और गले की मसाज कर सकते हैं।
• लेमन की सूखी पत्तियों को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पी सकते हैं।
• लेमन बाम ऑयल को डिफ्यूजर में डालकर सूंघ सकते हैं।
4. हर्बल टी
हर्बल टी सर्दी खांसी और इन्फेक्शन को ठीक करने में मदद करता है।
उपयोग करने का तरीका:
• सभी सामग्री को गर्म पानी में डालें और अच्छी तरह मिलाएं।
• एक दिन में एक से दो कप पी सकते हैं।
5. अदरक की चाय
अदरक को चाय से साइनस के सिर का दर्द कम होता है और खासी भी ठीक होती है।
उपयोग करने का तरीका:
• पानी में अदरक डाल के कुछ देर पानी को उबलने दें।
• जब पानी करीब दो से तीन मिनट तक उबल जाए, तो पानी को छान लें।
• अब इसे गर्मा-गर्म चाय की तरह पिएं।
• स्वाद के लिए इसमें शहद भी डाल सकते हैं।
6. हाइड्रोजन पेरॉक्साइड
हाइड्रोजन पेरॉक्साइड साइनस को साफ करने में मदद करता है, जिससे साइनस के भारीपन से राहत मिलती है।
उपयोग करने का तरीका:
• एक स्प्रे बोतल में 30 ml पानी डालें।
• अब पानी का एक चौथाई हाइड्रोजन पेरॉक्साइड डाल दें।
• अब दाएं नाक में स्प्रे से पानी डालें।
• जब पानी दूसरे नॉस्ट्रील से निकल जाए, तब बाएं नथुने में पानी डालें।
7. लहसुन
लहसुन एंटी-बैक्टीरियल गुण होते है, जो किटाणुओं को पनपने से रोक सकता है और साइनस में जमे म्यूकस को निकालने में मदद करता है।
8. भाप
भाप साइनस को कम करने में मदद करती है इसलिए भाप लेना साइनस के जरूरी है।
उपयोग करने का तरीका:
• स्टीमर में पानी डालकर उससे भाप ले।
• अगर स्टीमर न हो, तो आप एक बर्तन में पानी उबालकर भी भाप ले सकते हैं।
साइनस में योग कैसे लाभदायक?
योग, साइनस को ठीक करने में सहायता प्रदान करता है जैसे की सिर दर्द, नाक बंद होना। इसके अलावा योग नाक के निचले हिस्से की मांसपेशियों को आराम देता है। इससे खांसी और गले में दर्द से भी आराम मिलता है। इसलिए नीचे दिए कई योग आप कर सकते हैं:
1. कपालभाती
यह संपूर्ण स्वाश प्रणाली को उत्तेजित करता है और नाक की मांसपेशियों को रिलेक्स करके सूजन कम करता है।
2. उत्तानासन
ये स्वशान अंगों को मजबूत बनाने में मदद करता है और बंद नाक को खोलने में मदद करता है।
3. कर्णपीरासन
इस योग से साइनस से म्यूकस निकल जाता है और जुखाम में बहुत आराम मिलती है।
4. सर्वांगासन
ये योग, साइनस को ठीक करने में मदद करता है।
साइनस के लिए डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए?
साइनस के लक्षण अगर तीन चार दिन तक रहते हैं, तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए। अगर सिर दर्द, नाक में भारीपन, घरेलू नुस्खों से भी ठीक नहीं होते हैं, तो डॉक्टरी सलाह जरूर लें। वैसे भी घरेलू नुस्खे किसी समस्या का उपचार नहीं हैं।
पूछे जाने वाले सवाल?
Q. एक सामान्य साइनस कब तक जीवित रहता है?
Ans. साइनस 7 से 14 दिन तक रह सकता है। लेकिन ट्रीटमेंट समय पर शुरू होने पर यह जल्दी ठीक भी हो जाता है।
Q. साइनस का जोखिम किन लोगों में ज्यादा रहता है?
Ans. नीचे दिए गए लोगो में साइनस का डर ज्यादा रहता है:
• एलर्जी होने वाले लोगो में
• सिलिया से संबंधित बीमारी में
• सिस्टिक फाइब्रोसिस की स्थिति में
• एचआईवी या कीमोथेरेपी वाले लोगों में
Q. साइनस के इलाज में कितना खर्च आता है?
Ans. साइनस के इलाज का खर्चा, इलाज के तरीकों पर निर्भर करता है। अगर इसके लिए सर्जरी की जरूरत पड़ती है, तो इसका भी खर्चा अलग-अलग शहरों और हॉस्पिटल पर निर्भर करता है।
Q. साइनस में किस तरह का भोजन नहीं करना चाहिए?
Ans. साइनस में दूध और डेयरी उत्पादों से बचना चाहिए। इसके अलावा, नॉन-वेज, डीप फ्राइड व जंक फूड आदि से भी परहेज करना चाहिए।
Q. साइनस में किस तरह का भोजन करना चाहिए?
Ans. साइनस में हल्के भोजन, तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए, ताकि बलगम न बने और इम्यून सिस्टम मजबूत रहे।
Q. साइनस की समस्या किस वजह से होती है?
Ans. साइनस की समस्या मुख्य रूप से नाक संबंधी समस्या की वजह से होती है।
इसके अलावा, एलर्जी, जेनेटिक, दांत संबंधी समस्याओं के कारण भी हो सकती है।
Q. साइनस से छुटकारा पाने का सबसे तेज़ तरीका क्या है?
Ans. अपनी दिनचर्या में बदलाव करके साइनस से छुटकारा पाया जा सकता है।
इसके लिए अधिक मात्रा में पानी पीना, योगा करना, रोग-प्रतिरोधक क्षमता वाले भोजन करना इत्यादि चीजों को अपनाना चाहिए।
Q. क्या साइनस का इलाज संभव है?
Ans. जी हां, साइनस का इलाज संभव है।
इसके लिए दवाई लेना, आयुर्वेदिक इलाज, एंटिबायोटिक दवाई का सेवन, सर्जरी करना इत्यादि चीजों से इलाज करते है।
Q. क्या साइनस का असर आँखों पर पड़ता है?
Ans. जी हां, साइनस का असर आँखों पर पड़ता है, जिसकी वजह से उनकी आँखों में सूजन, आँखों का लाल होना, आँखों पर खुजली होना इत्यादि जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
साइनस को साइनोसाइटिस नाम से जाना जाता है और आयुर्वेद में इसे प्रतिश्याय भी कहते है। आमतौर पर लोग साइनस को सांस की बीमारी या इंफेक्शन से होने वाली बीमारी मानते है, लेकिन ये नाक की बीमारी है। इसमें नाक की हड्डी बढ़कर तिरछी हो जाती है जिससे सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
साइनस माथे, नाक की हड्डियों, गाल और आंखों के पीछे होती हैं। स्वस्थ साइनस में कोई बैक्टीरिया नहीं होता है, लेकिन जब साइनस में सूजन आती है या बलगम जमता है, तो इसमें कीटाणु पनपने लगते हैं। और इसी वजह से साइनस में इंफेक्शन होने लगता है।
साइनस कितने प्रकार होते है?
साइनस 4 प्रकार के होते है, जो नीचे दिए गए है:
1. एक्यूट साइनस- यह एक सामान्य साइनस है। एक्यूट साइनस उस स्थिति में होता है, जब कोई व्यक्ति, वायरस या बैक्टीरिया के संपर्क में आ जाता है। यह सबसे कम अवधि वाला होता है जो चार या उससे कम हफ्तों तक रहता है।
2. क्रोनिक साइनस- क्रोनिक साइनस में नाक में सूजन आ जाती हैं। जिसकी वजह से व्यक्ति को दर्द भी होता है। ये साइनस 1 महीने से लेकर 3 महीने तक रह सकती है।
3. डेविएटेड साइनस- यह साइनस नाक के एक हिस्से पर होता है। इसके होने पर नाक बंद हो जाती है और सांस लेने में तकलीफ होती है।
4. हे साइनस- Hay sinus को एलर्जी साइनस भी कहा जा सकता है।
यह साइनस धूल मिट्टी, पालतू जानवरों इत्यादि से एलर्जी होने पर होता है।
साइनस होने के क्या लक्षण है?
साइनस में सिरदर्द होना तो आम बात होता है लेकिन इसके अलावा भी और भी लक्षण होते हैं। जैसे-
• सिरदर्द होना- साइनस का सबसे पहला लक्षण सिरदर्द है। साइनस में सूजन की वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है जिससे सिर की नसों पर दबाव पड़ता है। जिसकी वजह से सिर के दर्द होने लगता है।
• बुखार और बेचैनी होना- साइनस की वजह से बुखार भी आ सकता है और बेचैनी या घबराहट भी हो सकती है
• आवाज में बदलाव आना- साइनस की वजह से नाक से तरल पदार्थ निकलता रहता है जिसका असर आवाज पर भी पड़ता है। जिसकी वजह से आवाज थोड़ी बदल जाती है।
• आँखों के ऊपर दर्द- साइनस आंखों के ऊपर भी होता है, जहां सूजन की वजह से दर्द शुरू होता है।
• महक का ना आना- सूजन के कारण इंद्रियां ठीक से काम नहीं कर पाती हैं जिसकी वजह से चीजों को सूंघने की क्षमता कम हो जाती है।
• दांतों में दर्द होना– साइनस संक्रमण के कारण आपके दांतों में भी दर्द हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि साइनस कैविटीज़ में बनने वाला तरल पदार्थ मैक्सिलरी साइनस (ये खाखले छिद्र नाक के पास होते हैं) के पास ऊपरी दांतों पर दबाव डालता है। अगर आपको साइनस की वजह से दांतों में दर्द होता है।
• थकान होना- अगर जुकाम के साथ साथ सिरदर्द होना, नींद न आना, नाक का बार-बार बंद होना और थकान महसूस होती है, तो यह साइनस के लक्षण हैं।
• खांसी- साइनस से गले और फेफड़े पर असर पड़ता हैं, जिससे खासी भी आती है।
साइनस होने के क्या कारण हैं?
साइनस के कई कारण हो सकते हैं जो नीचे दिए गए हैं:
• जुकाम- साइनस का मुख्य कारण जुकाम है, जिसकी वजह से नाक बहती है या फिर बंद हो जाती है। सांस लेने में दिक्कत भी होती है। जिन लोगो ka जुकाम बना रहता है, उनमें साइनस होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है।
• प्रदूषण- साइनस प्रदूषण के कारण भी हो सकता है। इसलिए ज्यादा प्रदूषण वाले जगह में रहने वाले लोग में साइनस की समस्या बढ़ सकती है।
• एलर्जी- बहुत से लोगों को मौसम, धूल मिट्टी, खुशबू वगरह से एलर्जी होती है। जिससे साइनस बना रहता है।
• नाक की हड्डी बढ़ना- नाक की हड्डी बढ़ने से भी साइनस की समस्या होती है।
• अस्थमा- अस्थमा के मरीज ठीक प्रकार से सांस नहीं ले पाते हैं, जिसकी वजह से स्पेसर की जरूरत पड़ती है। और ऐसे मरीज को साइनस की समस्या होने के आसार बढ़ जाते हैं।
• भोजन- खाने में हेल्थी चीजे न खाने से साइनस की दिक्कत हो सकती है।
साइनस से बचने के कौन कौन से उपाय कर सकते हैं?
साइनस के समस्या से बचने के लिए आहार और जीवनशैली में कुछ फेर-बदल करने की ज़रूरत होती है। जैसे-
• हाथों को अच्छी तरह से धोएं
• धूल मिट्टी और फफूंद से दूर रहें
• साफ सफाई का ध्यान रखें
• जिन लोगो को सर्दी जुखाम है, उन लोगो से दूर रहें
• बार बार हाथ साबुन से धुले, खासकर खाना खाने से पहले
• अगर आपको किसी चीज से एलर्जी है तो बचने की कोशिश करें
• धूम्रपान और प्रदूषित हवा में जाने से बचे
साइनस का इलाज क्या है?
ज्यादातर लोग ऐसा सोचते है की अगर उन्हें साइनस हो जाए तो वो ठीक नहीं होंगे, तो उनका ऐसा सोचना पूरी तरह से गलत है क्योंकि किसी भी दूसरी बीमारी की तरह साइनस का भी इलाज संभव है।
1. आयुर्वेदिक इलाज- वर्तमान समय में किसी भी बीमारी के लिए आयुर्वेदिक को सबसे अच्छा माना गया है और साइनस में भी बहुत सारे लोग ऐसे ही ठीक हो रहे है।
2. एंटीबायोटिक दवाईयां- एंटीबायोटिक दवाईयो से भी साइनस को ठीक किया जा सकता है। ये दवाईयां शरीर में साइनस को बढ़ने से रोकती हैं।
3. नेज़ल स्प्रे का इस्तेमाल- नेज़ल स्प्रे के इस्तेमाल से थोड़ी राहत मिलती हैं। इसलिए इसका यूज जरूर करना चाहिए।
4. योगा- साइनस का इलाज योगा से संभव है इसके लिए कपालभाती, अनुलोम-विलोम, प्राणायाम इत्यादि कर सकते है।
5. सर्जरी- जब साइनस किसी और तरह से ठीक नहीं हो पाता तो डॉक्टर सर्जरी का सहारा लेते हैं।
साइनस के क्या जोखिम हो सकते हैं?
किसी भी बीमारी को नज़रअदाज़ नहीं करना चाहिए क्योंकि ये कई सारे जोखिमों का कारण बन सकता है।
• साइनस का मस्तिष्क में फैलना- अगर साइनस का इलाज न किया जाए तो यह शरीर के दुसरे अंगों और मस्तिष्क में भी फैल सकता है।
• आंखों में इन्फेक्शन होना- अगर साइनस का इलाज समय पर न किया जाए तो ये आंख में इन्फेक्शन कर सकता है।
• मस्तिष्क खराब होना- अगर समय पर साइनस का इलाज न किया जाए तो ब्रेन फेलियर हो सकता है।
• अस्थमा होना- अगर साइनस का इलाज लंबे समय तक न किया जाए है तो इससे अस्थमा हो सकता है।
• मौत होना- कुछ लोगों की इस नाक की बीमारी की वजह से मौत हो जाती है। इसलिए किसी भी तरह की लापरवाही नहीं करनी चाहिए।
साइनस की रोकथाम कैसे करें?
साइनस से पीड़ित व्यक्ति यह जानना चाहता है कि वह किस तरह से इस इन्फेक्शन होने से रोक सकता है। इसलिए अगर उसे ये जानकारी पहले से हो तो वो कई जोखिमों को कम कर सकता है और इसके साथ ही जल्दी ठीक हो सकता है।
• ध्रूमपान न करना- किसी भी व्यक्ति को ध्रूमपान नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे कई बीमारियां हो सकती हैं।
• छींकते या खांसते समय मुंह ढकना- छींकते या खांसते समय टिशू पेपर या रूमाल का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि दूसरे व्यक्ति तक वायरस या बैक्टीरिया न फैलें।
• नाक को साफ रखना- साइनस नाक की बीमारी है, इसलिए नाक का विशेष ध्यान रखना चाहिए और नाक को साफ रखना चाहिए।
• स्ट्रॉ का इस्तेमाल करना- कोल्ड ड्रिंक या जूस पीने के लिए स्ट्रॉ का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि उसका असर उसके नाक या मस्तिष्क पर न पड़े।
• डॉक्टर के संपर्क रखना- यदि व्यक्ति को नाक संबंधी कोई परेशानी हो तो उसको तुंरत डॉक्टर से मिलना चाहिए।
साइनस के घरेलू उपाय क्या है?
साइनस के निम्न उपाय है जो आप घर में कर सकती हैं:
1. एसेंशियल ऑयल
एसेंशियल ऑयल की खुशबू को सूंघने को एरोमाथेरेपी भी कहते हैं। यह थेरेपी साइनस की सूजन और बैक्टीरिया को पनपने से रोकता है।
उपयोग करने का तरीका:
• तेल को डिफ्यूजर में डाल कर इसकी खुशबू को सूंघ सकते हैं।
• नाक और सिर में तेल लगा कर हल्की मसाज भी कर सकते हैं।
2. सेब का सिरका
एप्पल साइडर विनेगर का इस्तेमाल करके भाप लेने को भी साइनस के लिए फायदेमंद होता सकता है और इन्फेक्शन को कम करता है।
उपयोग करने का तरीका:
• एक चौड़े बर्तन में सिरका डालें।
• उसमें करीब एक लीटर पानी डालें।
• फिर इस को गैस पर रखकर गर्म करें।
• जैसे ही पानी से भाप निकलने लगे, वैसे ही इसको उतार ले।
• फिर, भाप लें।
• करीब पांच से 10 मिनट तक भाप लेते रहें।
• दिन में दो से तीन बार ऐसा करें।
3. लेमन बाम
लेमन बाम सिर दर्द को ठीक करने में मदद करता है। इसलिए ये बहुत ही फायदेमंद है।
उपयोग करने का तरीका:
• लेमन बाम से सिर, नाक और गले की मसाज कर सकते हैं।
• लेमन की सूखी पत्तियों को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पी सकते हैं।
• लेमन बाम ऑयल को डिफ्यूजर में डालकर सूंघ सकते हैं।
4. हर्बल टी
हर्बल टी सर्दी खांसी और इन्फेक्शन को ठीक करने में मदद करता है।
उपयोग करने का तरीका:
• सभी सामग्री को गर्म पानी में डालें और अच्छी तरह मिलाएं।
• एक दिन में एक से दो कप पी सकते हैं।
5. अदरक की चाय
अदरक को चाय से साइनस के सिर का दर्द कम होता है और खासी भी ठीक होती है।
उपयोग करने का तरीका:
• पानी में अदरक डाल के कुछ देर पानी को उबलने दें।
• जब पानी करीब दो से तीन मिनट तक उबल जाए, तो पानी को छान लें।
• अब इसे गर्मा-गर्म चाय की तरह पिएं।
• स्वाद के लिए इसमें शहद भी डाल सकते हैं।
6. हाइड्रोजन पेरॉक्साइड
हाइड्रोजन पेरॉक्साइड साइनस को साफ करने में मदद करता है, जिससे साइनस के भारीपन से राहत मिलती है।
उपयोग करने का तरीका:
• एक स्प्रे बोतल में 30 ml पानी डालें।
• अब पानी का एक चौथाई हाइड्रोजन पेरॉक्साइड डाल दें।
• अब दाएं नाक में स्प्रे से पानी डालें।
• जब पानी दूसरे नॉस्ट्रील से निकल जाए, तब बाएं नथुने में पानी डालें।
7. लहसुन
लहसुन एंटी-बैक्टीरियल गुण होते है, जो किटाणुओं को पनपने से रोक सकता है और साइनस में जमे म्यूकस को निकालने में मदद करता है।
8. भाप
भाप साइनस को कम करने में मदद करती है इसलिए भाप लेना साइनस के जरूरी है।
उपयोग करने का तरीका:
• स्टीमर में पानी डालकर उससे भाप ले।
• अगर स्टीमर न हो, तो आप एक बर्तन में पानी उबालकर भी भाप ले सकते हैं।
साइनस में योग कैसे लाभदायक?
योग, साइनस को ठीक करने में सहायता प्रदान करता है जैसे की सिर दर्द, नाक बंद होना। इसके अलावा योग नाक के निचले हिस्से की मांसपेशियों को आराम देता है। इससे खांसी और गले में दर्द से भी आराम मिलता है। इसलिए नीचे दिए कई योग आप कर सकते हैं:
1. कपालभाती
यह संपूर्ण स्वाश प्रणाली को उत्तेजित करता है और नाक की मांसपेशियों को रिलेक्स करके सूजन कम करता है।
2. उत्तानासन
ये स्वशान अंगों को मजबूत बनाने में मदद करता है और बंद नाक को खोलने में मदद करता है।
3. कर्णपीरासन
इस योग से साइनस से म्यूकस निकल जाता है और जुखाम में बहुत आराम मिलती है।
4. सर्वांगासन
ये योग, साइनस को ठीक करने में मदद करता है।
साइनस के लिए डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए?
साइनस के लक्षण अगर तीन चार दिन तक रहते हैं, तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए। अगर सिर दर्द, नाक में भारीपन, घरेलू नुस्खों से भी ठीक नहीं होते हैं, तो डॉक्टरी सलाह जरूर लें। वैसे भी घरेलू नुस्खे किसी समस्या का उपचार नहीं हैं।
पूछे जाने वाले सवाल?
Q. एक सामान्य साइनस कब तक जीवित रहता है?
Ans. साइनस 7 से 14 दिन तक रह सकता है। लेकिन ट्रीटमेंट समय पर शुरू होने पर यह जल्दी ठीक भी हो जाता है।
Q. साइनस का जोखिम किन लोगों में ज्यादा रहता है?
Ans. नीचे दिए गए लोगो में साइनस का डर ज्यादा रहता है:
• एलर्जी होने वाले लोगो में
• सिलिया से संबंधित बीमारी में
• सिस्टिक फाइब्रोसिस की स्थिति में
• एचआईवी या कीमोथेरेपी वाले लोगों में
Q. साइनस के इलाज में कितना खर्च आता है?
Ans. साइनस के इलाज का खर्चा, इलाज के तरीकों पर निर्भर करता है। अगर इसके लिए सर्जरी की जरूरत पड़ती है, तो इसका भी खर्चा अलग-अलग शहरों और हॉस्पिटल पर निर्भर करता है।
Q. साइनस में किस तरह का भोजन नहीं करना चाहिए?
Ans. साइनस में दूध और डेयरी उत्पादों से बचना चाहिए। इसके अलावा, नॉन-वेज, डीप फ्राइड व जंक फूड आदि से भी परहेज करना चाहिए।
Q. साइनस में किस तरह का भोजन करना चाहिए?
Ans. साइनस में हल्के भोजन, तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए, ताकि बलगम न बने और इम्यून सिस्टम मजबूत रहे।
Q. साइनस की समस्या किस वजह से होती है?
Ans. साइनस की समस्या मुख्य रूप से नाक संबंधी समस्या की वजह से होती है।
इसके अलावा, एलर्जी, जेनेटिक, दांत संबंधी समस्याओं के कारण भी हो सकती है।
Q. साइनस से छुटकारा पाने का सबसे तेज़ तरीका क्या है?
Ans. अपनी दिनचर्या में बदलाव करके साइनस से छुटकारा पाया जा सकता है।
इसके लिए अधिक मात्रा में पानी पीना, योगा करना, रोग-प्रतिरोधक क्षमता वाले भोजन करना इत्यादि चीजों को अपनाना चाहिए।
Q. क्या साइनस का इलाज संभव है?
Ans. जी हां, साइनस का इलाज संभव है।
इसके लिए दवाई लेना, आयुर्वेदिक इलाज, एंटिबायोटिक दवाई का सेवन, सर्जरी करना इत्यादि चीजों से इलाज करते है।
Q. क्या साइनस का असर आँखों पर पड़ता है?
Ans. जी हां, साइनस का असर आँखों पर पड़ता है, जिसकी वजह से उनकी आँखों में सूजन, आँखों का लाल होना, आँखों पर खुजली होना इत्यादि जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
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