रविवार

जब मरेंगे तो भगवान की कृपा को प्राप्त करेंगे। मनुष्य जीवन का लक्ष्य ही यही है।

mahila katha vachak in vrindavan
Sadhvi Arya Pandit

जिस दिन आपको नियम टूटने पर सही में बुरा लगने लगेगा, उस दिन के बाद नियम टूटेगा ही नहीं।

मान लीजिए आप 500 रुपए के प्रॉफिट के लिए काम करते हैं लेकिन आपको मिला 450 रुपए ही तो आपको कैसा लगेगा। उस 50 रुपए के लिए आप सोचेंगे न की मेरा नुकसान हो गया और ध्यान रखेंगे की आगे से ऐसा घाटा न होने पाए। लेकिन क्या भजन के लिए हम ऐसा सोचते हैं।

अगर हम रोज दिन में 6 बार माला जपते हैं और आज न जपे तो इससे आपको कुछ नही होगा लेकिन यही यदि आपको एक दिन भोजन न मिले तो समझ में आ जाएगा।

भगवान के भजन को छोड़ सकते हैं कोई परेशानी नही, गुरु जी के नियम छोड़ सकते हैं कोई परेशानी नहीं लेकिन हमारा जिस पर महत्व है जैसे संसार के धन पर, संसार के भोगों पर, अगर उसकी थोड़ी सी हानि हो जाए तो हमारा चिंतन खिच जाता है, बर्दाश नहीं होता है।

मतलब आप धन और भोगों से अधिक भगवान का भजन नहीं मानते हैं अगर मान ले तो दिन में अगर भजन नहीं हो पाए तो रात को सोऊंगा नहीं, पहले उस नियम को पूरा करूंगा फिर सोऊंगा क्योंकि ऐसे हमारा नियम टूट जायेगा।

आप सोचेंगे कि आज नहीं किया, कल डबल करेंगे, पर मन तुम्हें फिसला देगा, न डबल होगा न सिंगल। मन बहुत शैतानी करने वाला होता है इसलिए इसे नियम से बांधना चाहिए। नियम जो ले, उसका निर्वाह करें। चाहे जैसी परिस्थिति आ जाए, नियम नहीं छोड़ना है, तभी भगवत प्राप्ति होती है, कोई भी बात तभी सफल होती है जब उसमें नियम हो।

हम लोग नियम का कितना आदर करते हैं। जब नियम का आदर करोगे तब तो नियम चल पाएगा न। लेकिन नियम का आदर ही नहीं है। जो नहीं खाना तो नहीं खाना, जो हमारे मार्ग में बाधक है, नही बात करनी।

हमें भजन करना है, धर्म से और परिवार का पोषण करना है, जितने दिन जिएंगे, नियम से जिएंगे और जब मरेंगे तो भगवान की कृपा को प्राप्त करेंगे। मनुष्य जीवन का लक्ष्य ही यही है।

अब कुछ नियम ही नहीं है, आज कसम खाई कल तोड़ दी, तो फिर फायदा क्या। जो नियम है ना कि मर चाहे जाओ, 24 घंटे में नियम लिया है, इतनी माला करने का, कुछ भी हो फिर चाहे भूखे रहें, सोए नहीं लेकिन माला पूरी करेंगे।

तो भगवान देख रहे हैं कि भजन के लिए आप कितने पाबंद है तो फिर वो भी कृपा करेंगे। अपने लोगों का क्या है, मनोरंजन स्वभाव है, दो माला घुमा ली, फिर नहीं लगा मन तो छोड़ दिए।

हमें पश्चाताप होता है क्या भजन छूटने में, जलन होती है, कभी रोए कि इतनी बड़ी हानी हो गई, हमारा भजन छूट गया? भजन के प्रति महत्व ही नहीं है, भगवान की तरफ प्रियता ही नहीं है, धर्म का महत्व ही नहीं हैं, नहीं तो रोने क्या एक मिनट के लिए भगवान के लिए याद भूल गई तो मन व्याकुल हो जाए, तड़पने लग जाते।

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Mathura Vrindavan

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