दुनियाभर में लगभग 30 करोड़ से ज़्यादा लोग डिप्रेशन से ग्रस्त है। और सिर्फ भारत में ही 5 करोड़ से ज़्यादा लोग इस समस्या से घिरे हुए है और उन्हें पता भी नही होगा, की वो डिप्रेशन का शिकार हैं।
आमतौर पर डिप्रेशन 30 से 40 साल की उम्र में शुरू होता है लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या सबसे ज़्यादा होती है।
डिप्रेशन क्या होता है?
डिप्रेशन को मूड डिसऑर्डर और अवसाद भी कहा जाता है। ये कुछ देर रहने के बाद अपने आप ठीक हो जाती हैं, लेकिन कुछ लोगो में डिप्रेशन बहुत गंभीर होता हैं। ऐसे, लोग के मन में निराशा, दुख भर जाता है, जिसके कारण वह अपने रोजमर्रा के काम भी ठीक से नहीं कर पाते हैं।
हमारे जीवन में थोड़ा बहुत तनाव तो होता ही है। लेकिन यह कभी-कभी अच्छा भी होता है जिससे हम अपने कार्य को दबाव के कारण अच्छे से और समय पर कर पाते है और कार्य करते वक्त उत्साह भी बना रहता है। लेकिन जब यह तनाव अधिक और अनियंत्रित हो जाता है तो यह हमारे मस्तिष्क और शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है और यह तनाव डिप्रेशन में बदल जाता है। डिप्रेशन उस व्यक्ति को होता है जो हमेशा तनाव में रहता है।
डिप्रेशन के कारण क्या हैं?
डिप्रेशन के बहुत सारे कारण होते है, जो नीचे दिए गए हैं-
• शोषण के कारण- डिप्रेशन का प्रमुख कारण शोषण होना है।
जिन लोगों का शारीरिक शोषण होता है, ऐसे लोगों में डिप्रेशन होने की संभावना अधिक रहती है।
• दवाई के सेवन से- कई बार दवाई के साइड-इफेक्ट्स से भी डिप्रेशन होता है।
इसलिए अगर किसी व्यक्ति का कोई इलाज चल रहा है, तो उसे दवाई का सेवन सीमित रूप में ही करना चाहिए ताकि उसे किसी तरह का साइड-इफेक्ट् न हो।
• झगड़ा होना- घर के माहौल का असर बच्चों और परिवार के दूसरे सदस्यों पर पड़ता है।
इसलिए अगर परिवार में काफी झगड़े होते हैं, तो घर के सदस्यों पर इसका बुरा असर पड़ता है जिसकी वजह से वो डिप्रेशन का शिकार होने लगते हैं।
• प्रियजन की मौत से- किसी भी शख्स के लिए अपने प्रियजनों को खोना काफी दुखदायी होता है।
इसका असर मानसिक सेहत पर पड़ता है, जिसकी वजह से लोग डिप्रेशन का शिकार होने लगते है।
• जेनेटिक कारण से- डिप्रेशन का एक कारण जेनेटिक भी होता है।
इसलिए यदि किसी शख्स के परिवार में कोई दूसरा व्यक्ति डिप्रेशन से पीड़ित है, तो उसे भी यह बीमारी हो सकती है।
डिप्रेशन के लक्षण क्या हैं?
लगभग आधे लोग जिन्हें डिप्रेशन होता है लेकिन उन्हें इसका पता नही होता है, इसलिए इसके लक्षणों के बारे में जानना जरूरी है ताकि समय पर इसका इलाज शुरू किया जा सके-
1. मूड संबंधी लक्षण (Mood) :
• गुस्सा आना (Anger)
• आक्रामक होना (Aggressiveness)
• चिड़चिड़ापन आना (Irritability)
• चिंता करना (Anxiousness)
• बेचैनी होना (Restlessness)
2. भावना संंबंधी लक्षण (Emotional) :
• बर्बाद होने की भावना आना (Feeling Empty)
• उदास/दुख होना(Sad)
• निराशा आना (Hopeless)
3. व्यवहार संबंधी (Behavioral) :
• किसी काम में मन न लगना (Loss Of Interest)
• मनपसंद काम करने में खुशी न मिलना (No Longer Finding Pleasure In Favorite Activities)
• थकान होना (Feeling Tired )
• आत्महत्या के विचार आना (Thoughts Of Suicide)
• बहुत ज्यादा शराब पीना (Drinking Excessively)
• ड्रग्स का इस्तेमाल करना (Using Drugs)
• खतरनाक कामों की कोशिश करना (Engaging In High-Risk Activities)
4. सेक्स संबंधी (Sexual) :
• यौनेच्छा में कमी आना (Reduced Sexual Desire)
• शीघ्रपतन की समस्या होना (Lack Of Sexual Performance)
5. संज्ञा संबंधी (Cognitive) :
• ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ होना (Inability To Concentrate)
• काम पूरा करने में मुश्किल होना (Difficulty Completing Tasks)
• बातचीत के दौरान देर से जवाब दे पाना (Delayed Responses During Conversations)
6. नींद संबंधी (Sleep) :
• अनिद्रा होना (Insomnia)
• नींद कम आना (Restless Sleep)
• बहुत ज्यादा नींद आना (Excessive Sleepiness)
• पूरी रात न सो पाना (Not Sleeping Through The Night)
7. शरीर संबंधी (Physical) :
• थकान होना (Fatigue)
• दर्द होना (Pains)
• सिरदर्द होना (Headache)
• पाचन में समस्या होना (Digestive Problems)
डिप्रेशन कितने प्रकार के होते हैं?
1. मेजर डिप्रेशन:
इस स्थिति में व्यक्ति का व्यवहार बदलता रहता है। जो व्यक्ति की रोज़ की गतिविधियों और व्यक्तिगत सम्बन्धों पर प्रभाव डालता है।
2. बाई पोलर डिसॉर्डर:
इसे मैनिक डिप्रेशन भी कहेते हैं। इसमें व्यक्ति को चिडचिडापन, ग़ुस्सा, मतिभ्रम जैसी चीजें होती है। इसके अलावा व्यक्ति कभी अचानक निराश हो जाता है तो दुसरे ही पल ख़ुश होने लगता है।
3. सायकलोथमिक डिसॉर्डर:
इसमें डिप्रेशन के लक्षण बहुत ज्यादा नहीं होते हैं। इसमें माइल्ड डिप्रेशन और ह्यपोमानिया देखा जाता है।
4. डिस्थीमिक डिसऑर्डर:
इसमें व्यक्ति को दो वर्ष या उससे अधिक समय तक डिप्रेशन हो सकता है। इसमें व्यक्ति खुद को अस्वस्थ महसूस करता है तथा दैनिक कार्य भी ठीक से नहीं कर पाता है।
5. पोस्टमार्टम डिप्रेशन:
यह एक गम्भीर समस्या है जो बच्चे के जन्म के कुछ महीनो बाद माँ को हो सकता है। कई बार मां गर्भपात से भी इस स्थिति में जा सकती है।
6. सीकोटिक डिप्रेशन:
यह एक बहुत ही गम्भीर समस्या है, इसमें लोग मतिभ्रम, तर्कहीन विचार और ऐसी चीज़ें देखना सुनना शुरू कर देते है, जो वास्तविक में नहीं होता हैं।
7. अनाक्लिटिक डिप्रेशन:
यह डिप्रेशन नवजात शिशु में पाया जाता है। जो बच्चे अपनी माँ से अलग हो जाते हैं और माँ का प्यार ना मिल पाने से शिशु डिप्रेशन का शिकार हो जाता है।
8. एटिपिकल डिप्रेशन:
ये डिप्रेशन युवाओं में पाया जाता है। इन मरीजों में कार्बोहाड्रेट क्रेविंग भी पायी जाती है।
9. सीज़नल अफेक्टिव डिसऑर्डर:
यह डिप्रेशन मौसम के अनुसार होता है और स्प्रिंग या सर्दियों में शुरू होता है और गर्मियों में ख़त्म।
डिप्रेशन का परीक्षण कैसे किया जाता है?
जैसे किसी बीमारी की पहचान समय रहते कर ली जाए, तो उसका इलाज सही से किया जा सकता है। ऐसे ही अगर डिप्रेशन का पता भी समय रहते लगा लिया जाए तो डिप्रेशन भी जल्दी ही ठीक हो सकता है।
ऐसे डिप्रेशन का पता लगाने के 5 तरीके हैं जो नीचे दिए गए है-
• मनोवैज्ञानिक से बात करके:
मनोवैज्ञानिक से बात करके डिप्रेशन का पता लगाना सबसे आसान तरीका है।
इसमें डॉक्टर व्यक्ति से उसके इतिहास, पारिवारिक माहौल, स्वास्थ संबंधी सवाल पूछते हैं, जिससे ये पता लगाया जा सके की उस व्यक्ति को किसी तरह की समस्या तो नहीं है।
• ब्लड टेस्ट करके-
डिप्रेशन दूसरी बीमारियों से भी हो सकता है, इसलिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट करके डिप्रेशन का पता लगाते हैं।
• मेडिकल हिस्ट्री की जांच करके-
डॉक्टर डिप्रेशन का पता लगाने के लिए मेडिकल हिस्ट्री की भी जांच करते हैं।
• लाइफ स्टाइल संबंधी बात करके-
कई बार, डॉक्टर डिप्रेशन का पता लगाने के लिए लोगों की लाइफ स्टाइल के बारे में भी जानते है।
• स्वभाव में होने वाले बदलावों पर बात करके-
डिप्रेशन के कारण स्वभाव में भी अंतर आने लगता है, इसलिए डॉक्टर इसके बारे में पता करने के लिए स्वभाव में होने वाले बदवालों को लेकर बात कर सकते हैं।
डिप्रेशन का उपचार कैसे कर सकते हैं?
जैसे ही किसी व्यक्ति के डिप्रेशन होने का पता चलता है, उसका इलाज शुरू करना जरूरी होता है जिससे उसके आगे आने वाले खतरों से बचाया जा सके।
इसलिए डिप्रेशन का इलाज निम्नलिखित तरीके से किया जा सकता है-
• दवाई के द्वारा:
डिप्रेशन को ठीक करने का सबसे आसान तरीका दवाई लेना है। ये दवाई दिमाग की मांसपेशियों को शांत करके व्यक्ति को ठीक करने में मदद करती हैं।
• साइकोथेरेपी के द्वारा:
डिप्रेशन का इलाज साइकोथेरेपी के द्वारा भी किया जाता है।
इस थेरेपी के द्वारा पीड़ित व्यक्ति के स्वभाव, सामाजिक वातावरण को मॉनिटर किया जाता है और उसी हिसाब से इलाज करने की कोशिश की जाती है।
• लाइट थेरेपी के द्वारा:
डिप्रेशन का इलाज लाइट थेरेपी के द्वारा भी किया जाता है। इसमें पीड़ित व्यक्ति को लाइट डिवाइस के पास बैठाकर उसके मस्तिष्क पर लाइट मारी जाती है, ताकि उसके मस्तिष्क के अंदरूनी स्थिति की जांच की जा सके।
• एक्सराइज़ के द्वारा:
डिप्रेशन का इलाज एक्सराइज़ के द्वारा भी किया जाता है। इसमें दिमाग संबंधी एक्सराइज़ की जाती है, जिससे मस्तिष्क की क्षमता बढ़ती है।
• नशीले पदार्थों के परहेज के द्वारा:
डॉक्टर डिप्रेशन से पीड़ित लोगों को नशीले पदार्थों से दूर रहने की सलाह देते हैं।
डिप्रेशन से बचने के उपाय क्या हैं ?
डिप्रेशन से बचाव करने के लिए कुछ निम्न उपाय अपना सकते हैं जैसे की-
• डिप्रेशन से दूर रहने के लिए मधुर संगीत सुनना अच्छा तरीका है। लेकिन दुख भरे गाने न सुने।
• डिप्रेशन से बचने के लिए स्लीपिंग पैटर्न को बदलने की जरुरत है और जल्दी सोने व जागने की आदत डालनी चाहिए। सोने से पहले लैपटॉप मोबाईल या टीवी न देखें क्योंकि इससे तनाव उत्पन्न हो सकता है।
• डिप्रेशन से दूर रहने के लिए अपने मन पसंद के कार्य करना चाहिए। इससे तनाव को दूर किया जा सकता हैं।
• धार्मिक पुस्तकें पढ़कर व भजन सुनकर भी मन को शांत किया जा सकता है।
• डिप्रेशन को दूर करने के लिए सुबह शाम टहलना व व्यायाम, योगा करना चाहिए। इससे स्वास्थ्य अच्छा और दिमाग शांत रहता हैं।
• डिप्रेशन को दूर करने के लिए पौष्टिक आहार लेना चाहिए। इसके अलावा दिन में पानी खूब पीना चाहिए।
• कैफीन यानि चाय, कॉफी का सेवन कम करना चाहिए। शराब व धूम्रपान डिप्रेशन को बढ़ावा देते हैं।
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