Sadhvi Arya Pandit |
शक्ति भगवान के अधीन है और समस्त शक्तियों के स्वामी भगवान है। हम भगवान का आश्रय लेते हैं। पिता की प्रॉपर्टी का अधिकार पुत्र ही होता है, हम किसी पड़ोसी के लड़के को तो प्रॉपर्टी का अधिकार नहीं बनाते न। भले ही अपना लड़का कितना भी मूर्ख हो और पड़ोसी की कितना भी होशियार हो लेकिन सरकारी कानून के अनुसार उसी के पुत्र को प्रॉपर्टी का अधिकार है।
ऐसे ही अगर शक्ति हमें चाहिए तो शक्तिमान हमारे प्रभु पिता है, हमारे अंग है, हमारे स्वामी है। पहले यह स्वीकार करो की हमारे मालिक प्रभु हैं। अब स्वामी का खूब दुलार करो, उनकी आज्ञा अनुसार चलो, नाम कीर्तन, गुण कीर्तन करो तो तुम्हें कुछ भी मांगना ही नहीं पड़ेगा। तुम्हारे रोम रोम में भागवत शक्ति जागृत हो जाएगी।
शक्ति का तात्पर्य होता है आध्यात्म बल न कि देह बल। आध्यात्मिक बल जागृत होगा तो कामनाओं का त्याग होगा, दृढ़ों की सहनशक्ति आयेगी, विकारों पर विजय प्राप्त होगी। ये सब भागवत शक्ति है। जो गाली दे रहा है, उसको पलट कर जवाब नहीं दिया, जिसने पीटा उसका मंगल मनाए इसे कहते हैं शक्ति।
ये भागवत शक्ति उसको प्राप्त होती है जो भगवान का निजी दास हो जाता है उसे मांगने की जरूरत नहीं होती। जैसे पिता की संपत्ति पर पुत्र स्वयं अधिकार प्राप्त कर लेता है वैसे ही भगवान की शरणागत, भगवान की समस्त वैभव का वो स्वयं अधिकारी हो जाता है। बस, लाडले प्रभु से अपनापन करने की जरूरत है।
अगर शक्ति को अधीन करना चाहे तो फिर शक्ति तुम्हें नष्ट भी कर देगी। शक्ति को अधीन करना केवल भगवान की बात है, दूसरों की नहीं। बच्चा बन जाओ तो जैसे बच्चा आगे आगे भागता है और मां पीछे पीछे भागती है क्योंकि मां प्यार से अधीन है, बछड़े के शक्ति से नहीं।
ऐसे ही भक्त जहां जहां अपने चरण रखता है भगवान वहां वहां अपने हाथ रख देते हैं। इससे अच्छी शक्ति और क्या हो सकती है कि भगवान पीछे डोल रहे हैं। लेकिन कैसे, प्यार से!
अगर आपने भगवान को अपना जीवनधन माना है तो भगवान ने उसको अपना बना लिया। जैसे बछड़ा आगे उलरते हुए जाता है, उसको मां की चिंता नहीं पर मां पीछे दौड़ रही कि बछड़े को कोई विघ्न न पड़ जाए।
ऐसे ही भक्त को कहीं संकट आया तो भगवान अपने आप आ जाते हैं। इसलिए भगवान का आश्रय ही सबसे बड़ी शक्ति है और भगवान के नाम का सुमिरन भी श्री प्रभु को हृदय में बंधी बना लेता है।
हमको चाहिए कि हम इस तरह शक्ति का आवाह्न करें कि हमारे प्रभु मेरे हैं। शक्ति भगवान के अधीन है, तुम भगवान के अधीन हो जाओ, प्रेम करो तो भगवान की सारी शक्तियां आपको दुलार करने लगेंगी।
"साध्वी आर्या पंडित"
श्रीमद् भागवत कथा वक्ता,
वृन्दावन, ज़िला - मथुरा - 86501 21385
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