शनिवार

तब आपको समझ आएगा कि अब तक हम जो मांगते थे वो सब व्यर्थ निकला।


sadhvi Arya Pandit
Sadhvi Arya Pandit


हम सिर्फ सांसारिक सुख ही जानते हैं इसलिए ऐसा होता है। जैसे बालक माता– पिता की गोद में बैठकर खिलौना ही तो मांगेगा, क्योंकि वो उतनी ही बात जानता है, उसकी बुद्धि का विकास नहीं हुआ है।
हम लोग देहाभिमानी जीव है, देहभाव से युक्त हैं। देह भाव में पांच ज्ञानेंद्रियां, पांच कर्मेंद्रियां है तो पूरा का पूरा यंत्र हमारा संसार में ही लगा हुआ है और संसार ही मांगता है। अच्छा देखने को मिले, अच्छा खाने को मिले, अच्छा भोगने को मिले, अच्छा सुनने को मिले, हमारा शरीर सुखी रहे, हमने जिससे संबंध रखें है वो सुखी रहे, इतनी ही भावना है।
सुखी रहने की भावना तो हमारा अधिकार है, पर गलत जगह सुख खोजेंगे तो नहीं मिल पाएगा। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि भगवान ने इस संसार को दुखालय लिखा है और अगर हम यहीं सुख खोजेंगे तो वो नहीं मिल पाएगा।
आज तक सम्पूर्ण सुख किसी को नही मिला। सभी लोग भोग ही रहे हैं लेकिन आज तक क्या मिला, क्या हाथ आया। वही वासना, वही चिंता, वही बल, वही नवीन भोग की चाह।
इसलिए थोड़ा तो बैठ के सोचना चाहिए, कि कुछ होता तो मन कहता न कि इतनी बार भोगा कि अब शांति मिल गई। लेकिन नहीं, जितना भोगो, उतना ही अशांत, जितना भोगो उतना ही खोज और शुरू।
इसका मतलब, दिशा ठीक नही है। दिशा ठीक करो, भगवान के सम्मुख हो, संसार की तरफ मुख करके चलोगे तो अन्त नहीं है। अगर भगवान की तरफ मुख करके चल दिए तो थोड़ी देर तो जलन होगी, जब तक पाप नष्ट नहीं होते।
इसके बाद कदम कदम पर परमानंद है। हृदय शीतल आनंद से भर जाएगा। बार बार प्रभु को प्रणाम करके कहोगे कि प्रभु बचा लिया मुझे।
आप चाहे कामना से युक्त हो, चाहे निष्काम हो, पहले प्रभु की तरफ डट के लगना चाहिए। प्रभु सबके पिता, स्वामी, मालिक, ईश्वर हैं। हमें ईश्वर से कहना चाहिए, की हमे आपका ही ज्ञान है और यही आनंद लगता है और यही मांगेगा भी।
आगे ईश्वर आपका खुद भाव बढ़ाएंगे, तब आपको समझ आएगा कि अब तक हम जो मांगते थे वो सब व्यर्थ निकला।
हम लोग जानते नहीं है इसलिए भोग में लगे हैं, जिस दिन जान जायेंगे, उस दिन इस सांसारिक सुख को खुद फेक देंगे। कहोगे कि, नहीं चाहिए मुझे यह संसार, मुझे तो प्रभु चाहिए।
धीरे धीरे भजन बढ़ाओ, ज्ञान प्रकाशित हो जायेगा तो संसार का महत्व खत्म हो जाएगा। यहां कुछ नही है, जीवन भर लोग यही लगे हैं कि मेरा नाम बड़ा हो जाएगा।
लोग ईश्वर तक का नाम तो ले नहीं रहे हैं तो तुम्हारा नाम कौन लेगा। मर के चले गए सब लेकिन क्या बचा, सब यही पड़ा है।
सीधी बात है धर्मयुक्त आचरण करो, भगवान का भजन करो, भगवान से प्रार्थना करो कि मुझे मार्ग दिखाओ। वो बड़े कृपालु है, ज्ञान रूपी सूर्योदय कर देंगे तो ठीक से चल पाओगे।
"साध्वी आर्या पंडित" 
श्रीमद् भागवत कथा वक्ता,
वृन्दावन, ज़िला - मथुरा - 86501 21385


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